आप्तवाणी-१४(भाग -२) PDF
प्रस्तुत पुस्तक में, आत्मा के गुणधर्मों को खुला किया गया है और उन कारणों की भी पहचान यहाँ पर करवाई गई हैं, जिस वजह से हम आत्मानुभव करने के लिए असमर्थ है। पुस्तक को दो भाग में विभाजित किया गया है। इस दूसरे भाग में छः अविनाशी तत्त्वों का (आत्मा, जड़, गतिसहायक, स्थितिसहायक, काल और आकाश) विस्तार से वर्णन किया है और कैसे यह ब्रम्हांड इन तत्त्वों की भागीदारी से बना है और जड़ तत्त्व का स्वभाव, आत्मा के ग...

Dada Bhagwan - आप्तवाणी-१४(भाग -२)

आप्तवाणी-१४(भाग -२)

Dada Bhagwan

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StreetLib eBooks

Idioma
hindi
Formato
epub
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Descripción

प्रस्तुत पुस्तक में, आत्मा के गुणधर्मों को खुला किया गया है और उन कारणों की भी पहचान यहाँ पर करवाई गई हैं, जिस वजह से हम आत्मानुभव करने के लिए असमर्थ है। पुस्तक को दो भाग में विभाजित किया गया है। इस दूसरे भाग में छः अविनाशी तत्त्वों का (आत्मा, जड़, गतिसहायक, स्थितिसहायक, काल और आकाश) विस्तार से वर्णन किया है और कैसे यह ब्रम्हांड इन तत्त्वों की भागीदारी से बना है और जड़ तत्त्व का स्वभाव, आत्मा के गुणधर्म और पर्याय की यहाँ गुह्य समझ दी गई हैं । ‘मैं चंदूलाल हूँ’, वह संसार का और ‘मैं शुद्धात्मा हूँ’, वह मुक्ति का कारण है।

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