आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध) PDF
परम पूज्य दादाश्री ने कभी भी हाथ में कलम नहीं ली थी। मात्र उनके मुखारविंद से, उनके अनुसार टेपरिकॉर्डर में से मालिकी रहित स्याद्वाद वाणी, निमित्त मिलते ही देशना के रूप में निकलने लगती थी! उन्हें ऑडियो केसेट में रिकॉर्ड करके, संकलन करके सुज्ञ साधकों तक पहुँचाने के प्रयास हुए हैं। उनमें से आप्तवाणियों का अनमोल ग्रंथ संग्रह प्रकाशित हुआ है। आप्तवाणी के बारह ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं और अभी तेरहवाँ ग्...

DadaBhagwan - आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध)

आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध)

DadaBhagwan

Google Play

Published by
StreetLib eBooks

Language
Hindi
Format
epub
Uploaded

Description

परम पूज्य दादाश्री ने कभी भी हाथ में कलम नहीं ली थी। मात्र उनके मुखारविंद से, उनके अनुसार टेपरिकॉर्डर में से मालिकी रहित स्याद्वाद वाणी, निमित्त मिलते ही देशना के रूप में निकलने लगती थी! उन्हें ऑडियो केसेट में रिकॉर्ड करके, संकलन करके सुज्ञ साधकों तक पहुँचाने के प्रयास हुए हैं। उनमें से आप्तवाणियों का अनमोल ग्रंथ संग्रह प्रकाशित हुआ है। आप्तवाणी के बारह ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं और अभी तेरहवाँ ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है, जो पूर्वार्ध और उत्तरार्ध में विभाजित किया गया है।

By continuing to browse our site you agree to our use of cookies, Terms of service and Privacy.