शोर... ख़ामोशी का... PDF
इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जब भी हम अकेले बैठते हैं, तब एक खामोशी हमें घेर लेती है, जिसमें आवाज नहीं होती लेकिन शोर बहुत होता है। यह शोर हमारे भीतर छिपे उन सवालों का होता है, जो पूछते हैं, “ हमने क्या खोया ? हमने क्या पाया ? हम कहाँ पहुँचे ? कहाँ पहुँचना चाहते है ? हमने क्या किया है ? हम क्या करना चाहते हैं ? इससे भी महत्वपूर्ण बात यह, कि हमने जो कुछ भी किया है किया है, क्या हम उससे खुश हैं ? कभी-...

Surjeet Kumar - शोर... ख़ामोशी का...

शोर... ख़ामोशी का...

Surjeet Kumar

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StreetLib eBooks

Language
Hindi
Format
epub
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Description

इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जब भी हम अकेले बैठते हैं, तब एक खामोशी हमें घेर लेती है, जिसमें आवाज नहीं होती लेकिन शोर बहुत होता है। यह शोर हमारे भीतर छिपे उन सवालों का होता है, जो पूछते हैं, “ हमने क्या खोया ? हमने क्या पाया ? हम कहाँ पहुँचे ? कहाँ पहुँचना चाहते है ? हमने क्या किया है ? हम क्या करना चाहते हैं ? इससे भी महत्वपूर्ण बात यह, कि हमने जो कुछ भी किया है किया है, क्या हम उससे खुश हैं ? कभी-कभी वो  शोर हमें झकझोर देता है। प्रस्तुत पुस्तक उसी खामोशीयों को कविताओं में बाँध कर पाठकों के दिलों तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है।

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